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अध्याय -3 जल संसाधन Class 10th CBSE important Questions 2021




Social Science Class 10th CBSE important Questions 2021

Samajik Vigyan class 10 important

10th class sst in Hindi important Q & A

 सामाजिक विज्ञान class 10th important Questions 2021




 

कक्षा 10 समाजिक विज्ञान – कक्षा 10वीं के छात्र हमारे इस पेज से समाजिक विज्ञान के नोट्स प्राप्त कर सकते हैं। कक्षा 10 समाजिक विज्ञान के सभी भाग (राजनीति विज्ञान, भूगोल, इतिहास, अर्थशास्त्र) के नोट्स इस पेज पर नीचे दिया गया है। अगर आप परीक्षा में पूछे जानें वाले महत्त्वपूर्ण प्रश्न जानना चाहते हैं तो 10वीं सामाजिक विज्ञान के नोट्स डाउनलोड कर सकते हैं। नोट्स की सहायता से आप अपनी परीक्षा की तैयारी और अच्छे से कर सकते हैं। छात्र नोट्स में दिए महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को हल कर सकते हैं। प्रश्नों को हल करने के बाद आप अपने उत्तरों की जांच भी आसानी से कर सकते हैं। सभी प्रश्नों के उत्तर भी नोट्स में दिये गए हैं। कक्षा 10वी के छात्रों को बता दें कि आप नोट्स और महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के साथ – साथ अभ्यास पत्र भी प्राप्त कर सकते हैं। छात्र रोज एक अभ्यास पत्र को हल करने की कोशिश करें। 

कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान के नोट्स, महत्त्वपूर्ण प्रश्न और अभ्यास पत्र

कक्षा 10 में पढा़ई करने वाले छात्रों को बता दें कि आप हमारे पेज से 10वीं सामाजिक विज्ञान के सभी विषयों के नोट्स प्राप्त कर सकते हैं। नोट्स का प्रयोग करके आप सभी विषयों की तैयारी आसानी से कर सकते हैं। नोट्स, महत्त्वपूर्ण प्रश्न और अभ्यास पत्र को हल करने के बाद छात्र सभी विषयों को गहराई से समझ सकते हैं। अगर आप नोट्स में दिए महत्त्वपूर्ण प्रश्न और अभ्यास पत्र को हल करने की तरीके के बारे में जानना चाहते हैं तो इस पेज को नीचे तक पढ़ सकते हैं।

सामाजिक विज्ञान class 10th important Questions 2021




अध्याय -3 ( जल संसाधन )

प्र .1 भारत मे ताजे जल के प्रमुख स्रोत बताइए । ( 2013 )

Ans – वर्षा : भारत में औसतन 118 सेमी. वर्षा होती है। भारत के जल संसाधनों का एक बड़ा अनुपात उन क्षेत्रों में है, जहां औसतन 100 सेमी. वार्षिक वर्षा होती है।

झीलें : झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारों तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। झीलों की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनका खारापन होता है लेकिन अनेक झीलें मीठे पानी की भी होती हैं। झीलें भू-पटल के किसी भी भाग पर हो सकती हैं।

जल-प्रपात : जब किसी पर्वत इत्यादि की अत्यंत ऊंचाई से बड़ी मात्रा में जल गिरता है तो जल-प्रपात की सृष्टि होती है। यह कई कारकों, जैसे-शैलों की सापेक्ष प्रतिरोधकता, भू-पृष्ठीय उभारों की सापेक्ष विभेदता, समुद्र तल से ऊंचाई, पुनरुत्थान की प्रक्रियाएं तथा भू-संचलन इत्यादि पर निर्भर करता है।

भौम जल : सभी प्रकार का वह जल जो पृथ्वी की ऊपरी सतह (भूपर्पटी) के नीचे स्थित होता है, भूमिगत जल या भौम जल कहलाता है। भौम जल की उपलब्ध मात्रा का 90 प्रतिशत जल उत्तर भारत के मैदानों की अवसादी चट्टानों के निर्माण में सहायक है।




प्र .2 जल दुर्लभता क्या है । इसके प्रमुख कारण बताइए । ( 2010 , 2013 , 2011 )

Ans – जल दुर्लभता का अर्थ है- जल की कमी। दूसरे शब्दों में जब किसी वस्तु की आपूर्ति माँग से कम हो तो वह वस्तु दुर्लभ हो जाती है। देश के कई क्षेत्रों में जल की बहुत कमी है।
जल की कमी के निम्नलिखित कारण हैं:

(i) किसी प्रदेश में अधिक जनसंख्या जल की कमी का प्रमुख कारण है। प्रत्येक व्यक्ति को पीने के लिए, भोजन के लिए, कपड़े धोने आदि के लिए पानी की आवश्यकता होती है।

(ii) प्रदेश में यदि कम वर्षा है तथा सुखा है तो जल की कमी होगी।

(iii) अति शोषण या अत्यधिक उपयोग जल की कमी का प्रमुख कारण है।

(iv) असमान जल भी जल के आभाव का ही कारण

प्र .3 बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर क्यो कहा जाता है । स्पष्ट कीजिए । ( 2015 )

Ans – भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को ‘आधुनिक भारत का मंदिर’ कहा था। इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य- सिंचाई का प्रबंध, जल विद्युत् का उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, पर्यावरण की रक्षा, अन्तः-स्थलीय नौपरिवहन का विकास, भू-संरक्षण और मछली पालन का विकास।




प्र .4 वर्षा जल संग्रहण की प्रमुख तकनीको का वर्णन कीजिए

Ans – 1. गड्ढेः पुनःभरणगड्ढे या पिट्स को उथले जलभृत के पुनर्भरण के लिये बनाया जाता है।

2. जलभृत (Aqifer) : यह रेत, पथरीली या चट्टानों की बनी मिट्टी की छिद्रनीय परतें हैं जिनसे प्रचुर मात्रा में जल को उपयोग करने के लिये निकाला जा सकता है। इनका निर्माण एक से दो मीटर की चौड़ाई में और एक से 1.5 मीटर की गहराई में किया जाता है और जिनको रेत, मिट्टी, कंकड़ों से भी भर दिया जाता है।

3. खाइयाँ (Trenches) : इनका तब निर्माण होता है, जब पारगम्य (भेद्य) चट्टानें उथली गहराई पर उपलब्ध होती है। खाई 0.5 से 1 मीटर चौड़ी, 1 से 1.5 मीटर गहरी और, 10 से 20 मीटर की लम्बी हो सकती है। इसकी चौड़ाई, लंबाई और गहराई जल की उपलब्धता पर निर्भर है। इनको पाटने के लिये फिल्टर सामग्री का प्रयोग होता है।

4. खुदे हुए कुएँ : मौजूदा कुओं का पुनःभरण ढाँचे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह आवश्यक है कि पानी को कुएँ में डालने से पहले उसको फिल्टर मीडिया (छानने वाले यंत्रों) से गुजारना चाहिये।




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