संज्ञा
संज्ञा की परिभाषा, संज्ञा के भेद एवं उदहारण
परिभाषा – संसार के किसी भी प्राणी, वस्तु, स्थान, जाति या भाव, दशा आदि के नाम को संज्ञा (Sangya) कहते हैं|
निम्नलिखित उदाहरण से हम संज्ञा तथा उनके प्रकार आसानी से समझ सकते हैं
भारत एक विकासशील देश है
उदाहरण –
- नरेन्द्र मोदी भारत के सजग नेता हैं
- गंगा एक पवित्र नदी है
- कुरान मुसलमानों का पवित्र ग्रन्थ है
- आज मोहन बहुत खुश है.
- त्योहार हमारे घर खुशियां लाता है.
- क्रिकेट भारत का लोकप्रिय खेल है.
- मोहन रोज़ दो गिलास दूध और चार अंडे खाता है।
ऊपर लिखे वाक्यों में सभी चिन्हित शब्द संज्ञा के किसी ना किसी प्रकार हैं :-
भारत– देश का नाम
नरेन्द्र मोदी, मोहन – व्यक्ति का नाम
गंगा – नदी का नाम
कुरान – ग्रन्थ का नाम
मुसलमानों – विशेष समुदाय का नाम
ग्रन्थ – किताब की विशेष श्रेणी का नाम
क्रिकेट – खेल का नाम
गिलास – बर्तन का नाम
दूध, अंडा – खाद्य पदार्थ का नाम
खुशियां – विशेष मनः स्थिति (भाव) का नाम
संज्ञा के भेद –
1 . व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)- गुलाब, दिल्ली, इंडिया गेट, गंगा, राम आदि.
2 . जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya) – गधा, क़िताब, माकन, नदी आदि
जातिवाचक संज्ञा के दो उपभेद हैं –
A. द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravya Vachak Sangya) तथा
B. समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya).
3. भाववाचक संज्ञा -(Bhav Vachak Sangya) सुंदरता, इमानदारी, प्रशन्नता, बईमानी आदि
इन दो उपभेदों को मिला कर संज्ञा के कुल 5 प्रकार हो जाते हैं|
अब संज्ञा के सभी प्रकार का विस्तृत वर्णन नीचे किया गया है-
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya)
जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, विशेष प्राणी, विशेष स्थान या किसी विशेष वस्तु का बोध हो उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है.
जैसे- रमेश (व्यक्ति का नाम), आगरा (स्थान का नाम), बाइबल (क़िताब का नाम), ताजमहल (इमारत का नाम), एम्स (अस्पताल का नाम) इत्यादि.
2. जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)
वैसे संज्ञा शब्द जो की एक ही जाति के विभिन्न व्यक्तियों, प्राणियों, स्थानों एवं वस्तुओं का बोध कराती हैं उन्हें जातिवाचक संज्ञाएँ कहते है।
कुत्ता, गाय, हाथी, मनुष्य, पहाड़ आदि शब्द एकही जाति के प्राणियों, वस्तुओं एवं स्थानों का बोध करा रहे है।
- जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत निम्नलिखित दो है –
(क) द्रव्यवाचक संज्ञा – (Dravya Vachak Sangya) –
जिन संज्ञा शब्दों से किसी पदार्थ या धातु का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है ।
जैसे – दूध, घी, गेहूँ, सोना, चाँदी, उन, पानी आदि द्रव्यवाचक संज्ञाएँ है।
(ख) समूहवाचक संज्ञा -(Samuh Vachak Sangya)
जो शब्द किसी समूह या समुदाय का बोध कराते है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – भीड़, मेला, कक्षा, समिति, झुंड आदि समूहवाचक संज्ञा हैँ।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग:
व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ कभी कभी ऐसे व्यक्तियों की ओर इशारा करती हैं, जो समाज में अपने विशेष गुणों के कारण प्रचलित होते हैं। उन व्यक्तियों का नाम लेते ही वे गुण हमारे मस्तिष्क में उभर आते है, जैस-
हरीशचंद्र (सत्यवादी), महात्मा गांधी (मकात्मा), जयचंद (विश्वासघाती), विभीषण (घर का भेदी), अर्जुन (महान् धनुर्धर) इत्यादि। कभी कभी बोलचाल में हम इनका इस्तेमाल इस प्रकार कर लेते हैं-
1. इस देश में जयचंदों की कमी नहीं । (जयचंद- देशद्रोही के अर्थ में)
2. कलियुग में हरिशचंद्र कहां मिलते हैं । (हरिशचंद्र- सत्यवादी के अर्थ में प्रयुक्त)
3. हमेँ देश के विभीषणों से बचकर रहना चाहिए । (विभीषण- घर के भेदी के अर्थ में प्रयुक्त)
- जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग–
कमी-कभी जातिवाचक संज्ञाएँ रूढ हो जाती है । तब वे केवल एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने लगती हैं- जैसे:
* पंडितजी हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
यहाँ ‘पंडितजी‘ जातिवाचक संज्ञा शब्द है, किंतु भूतपूर्व प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ अर्थात् व्यक्ति विशेष के लिए रूढ़ हो गया है । इस प्रकार यहाँ जातिवाचक का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग किया गया है।
* राष्ट्रपिता गांधी जी ने हरिजनों का उद्धार किया । (राष्ट्रपिता गांधी)
* नेता जी ने कहा- “तुम मुझे खून दे, मैं तुम्हें आजादी कूँरा । (नेता जी – सुभाष चंद्र बोस)
3. भाववाचक संज्ञा –
जो संज्ञा शब्द गुण, कर्म, दशा, अवस्था, भाव आदि का बोध कराएँ उन्हें भाववाचक संज्ञाएँ कहते है। जैसे –
भूख, प्यास, थकावट, चोरी, घृणा, क्रोध, सुंदरता आदि। भाववाचक संज्ञाओं का संबंध हमारे भावों से होता है । इनका कोई रूप या आकार नहीं होता । ये अमूर्त (अनुभव किए जाने वाले) शब्द होते है।
भाववाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग :
भाववाचक संज्ञाएँ जब बहुवचन में प्रयोग की जाती है, तो वे जातिवाचक संज्ञाएँ बन जाती हैं ; जैसे –
(क) बुराई से बचो । ( भाववाचक संज्ञा)
बुराइयों से बचो । (जातिवाचक संज्ञा)
(ख) घर से विद्यालय की दूरी अधिक नहीं है। (भाववाचक संझा)
मेरे और उसके बीच दूरियाँ बढ़ती जा रही है । (जातिवाचक संज्ञा)
द्रव्यवाचक संज्ञाएँ एवं समुहवाचक संज्ञाएँ भी जब बहुवचन में प्रयोग होती हैं तो वे जातिवाचक संज्ञाएँ बन जाती हैं, जैसे-
(क) मेरी कक्षा में 50 बच्चे हैं । (समूहवाचक संज्ञा)
भिन्न – भिन्न विषयों की कक्षाएँ चल रही है । (जातिवाचक संज्ञा)
(ख) सेना अभ्यास कर रही है। (समूहवाचकसंज्ञा)
हमारी सारी सेनाएँ वीरता से लडी। (जातिवाचक संज्ञा)
(ग) रोहन का परिवार यहां रहता है। (समूहवाचक संज्ञा)
आज कल सभी परिवारों में छोटे-मोटे झगड़े होते रहते है । (जातिवाचक संज्ञा)
(घ) लकडी से अलमीरा बनता है। (द्रव्यवाचक संझा)
ढेर सारी लकडियां इकट्ठी करो। (जातिवाचक संज्ञा)
(ङ) सरसों का तेल पीला होता है। (द्रव्यवाचक संज्ञा)
वनस्पति तेलों का प्रचलन शहरों में ज्यादा है। (जातिवाचक संज्ञा)