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कक्षा 10 अध्याय 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय बहुवैकल्पिक प्रश्न तथा प्रश्न अभ्यास

सीबीएसई कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय बहुवैकल्पिक प्रश्न । नवीनतम परीक्षा पैटर्न के आधार पर उत्तर के साथ, सामाजिक विज्ञान के लिए MCQ प्रश्न तैयार किए गए है। छात्रों की तैयारी के स्तर को जानने के लिए, NCERT कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय बहुविकल्पीय प्रश्न हल कर सकते हैं।




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The Rise of Nationalism in Europe

कक्षा 10 अध्याय 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय बहुवैकल्पिक प्रश्न

सीबीएसई कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय बहुवैकल्पिक प्रश्न । नवीनतम परीक्षा पैटर्न के आधार पर उत्तर के साथ सामाजिक विज्ञान के लिए MCQ प्रश्न तैयार किए गए है। छात्रों की तैयारी के स्तर को जानने के लिए NCERT कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय बहुविकल्पीय प्रश्न हल कर सकते हैं।

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जर्मन राष्ट्र का वह नायक जो ओक के पत्तों का मुकुट पहनता है:

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जर्मनी के एकीकरण के लिए कौन जिम्मेदार था?

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ब्रिटेन में एक राष्ट्र-राज्य का गठन कैसे हुआ ?

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1861 में संयुक्त इटली का राजा कौन बना?

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1871 में जर्मनी का सम्राट किसे घोषित किया गया था?

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ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और फ्रांस के साथ सात वर्षों में तीन युद्ध समाप्त हुए

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जर्मनी के एकीकरण में अग्रणी भूमिका किसने निभाई?

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18 वें दशक के अंत में पोलैंड का क्या हुआ। निम्नलिखित में से कौन सा उत्तर सही है?

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किसने कहा फ्रांस जब छींकता है, तो शेष यूरोप ठंड लग जाती है ’?

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एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त ग्रीस की संधि कब हुई थी ?

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निम्नलिखित में से कौन "रूढ़िवाद" की विशेषता नहीं है?

12 / 35

'सार्वभौमिक मताधिकार' शब्द का अर्थ है?

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निम्नलिखित में से किसने "यंग इटली" नामक गुप्त समाज का गठन किया?

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उदार और राष्ट्रवाद _____ के लिए खड़ा है:

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नेपोलियन कोड निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में लागु किया गया था?

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फ्रांस में 1804 का नागरिक संहिता आमतौर पर ______ के रूप में जाना जाता है?

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फ्रांसीसी क्रांतिकारियों किसके लिए घोषणा की, कि फ्रांसीसी राष्ट्र का मिशन और भाग्य है ?

18 / 35

"फ्रांसीसी क्रांति" के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(i) फ्रांसीसी क्रांति के अंत के बाद यह घोषणा की गई थी कि यह ऐसे लोग थे जो इस देश का गठन करेंगे और अपने भाग्य को आकार देंगे।
(ii) फ्रांस में एक संवैधानिक राजतंत्र होगा और नए गणराज्य का नेतृत्व शाही परिवार के एक सदस्य द्वारा किया जाएगा।
(iii) सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाने के लिए एक केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था रखी जाएगी।
(iv) आंतरिक कस्टम कर्तव्यों और देयताओं का प्रभाव फ्रांस में मौजूद रहेगा।

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पहली महान क्रांति जिसने अपने मूल शब्दों के साथ राष्ट्रवाद का स्पष्ट विचार दिया: 'स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व' वह थी ?

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निम्नलिखित में से कौन सा देश वियना की कांग्रेस में शामिल नहीं हुआ?

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अर्नस्ट रेनन का मानना ​​था कि राष्ट्रों का अस्तित्व एक आवश्यकता है क्योंकि ?

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'जनमत-संग्रह' शब्द को परिभाषित करने के लिए सही परिभाषा चुनें।

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नीचे दिए गए कथनों के साथ शब्द का मिलान करें:
'यूटोपियन सोसाइटी' है
(i) एक उदार राजतंत्र के तहत एक समाज
(ii) ऐसा समाज जो कभी अस्तित्व में होने की संभावना नहीं है
(iii) कुछ चुने हुए बुद्धिमान पुरुषों के नियंत्रण में एक समाज
(iv) संसदीय लोकतंत्र के तहत एक समाज

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"राष्ट्रवाद”, जो 19 वीं सदी के उत्तरार्ध में एक ताकत के रूप में उभरा का अर्थ है ?

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कलाकार फ्रेडरिक सोर्यू की सही राष्ट्रीयता चुनें, जिन्होंने अपनी पेंटिंग में डेमोक्रेटिक और सोशल रिपब्लिक से बने समाज की कल्पना की है।

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निम्न में से किस देश को ’यूरोपीय सभ्यता का पालना’ माना जाता है?

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1789 की क्रांति से पहले फ्रांस में निम्नलिखित में से किस प्रकार की सरकार काम कर रही थी?

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स्वच्छंदतावाद को संदर्भित करता है?

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निम्न में से किस समूह की शक्तियों ने सामूहिक रूप से नेपोलियन को हराया?

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यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किस संधि से हुआ था?

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किस संधि ने ग्रीस को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी?

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’जूनर्स’ कौन थे?

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यूटोपियन दृष्टि में संत, स्वर्गदूत और मसीह किसके प्रतीक हैं?

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प्रोलिया में 1834 में शुरू किया गया ज़ोललेवरिन एक _____ को संदर्भित करता है?

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एले, जर्मनी में मापने की इकाई का उपयोग _____ के लिए किया गया था?

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CBSE Class 10 सामाजिक विज्ञान
पुनरावृति नोट्स
पाठ-1
यूरोप में राष्ट्रीयवाद का उदय


राष्ट्रवाद: 

  • किसी भी राष्ट्र के सदस्यों में एक साझा पहचान को बढ़ावा देने वाली विचारधारा को राष्ट्रवाद कहा जाता है।
  • राष्ट्रवाद की भावना को जड़ जमाने में राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रगान, आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय: 

  • उन्नीसवीं सदी के मध्य के पहले यूरोपीय देश उस रूप में नहीं थे जिस रूप में उन्हें हम आज जानते हैं।
  • यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों पर विभिन्न प्रकार के वंशानुगत साम्राज्यों का राज हुआ करता था। ये सभी राजतांत्रिक शासक थे जिन्हें अपनी प्रजा पर पूरा नियंत्रण हुआ करता था।
  • उस काल में तकनीकी में कई ऐसे बदलाव हुए जिनके कारण समाज में आए बदलाव ने राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।
  • सन 1789 में शुरु होने वाली फ्रांस की क्रांति के साथ ही नए राष्ट्रों के निर्माण की प्रक्रिया भी शुरु हो गई थी। लेकिन इस नई विचारधारा को जड़ जमाने में लगभग सौ साल लग गए।
  • इसकी परिणति के रूप में फ्रांस का एक प्रजातांत्रिक देश के रुप में गठन हुआ।
  • यही सिलसिला यूरोप के अन्य भागों में भी चलने लगा और बीसवीं सदी के शुरुआत आते आते विश्व के कई भागों में आधुनिक प्रजातांत्रिक व्यवस्था की स्थापना हुई।





फ्रांसीसी क्रांति

  • फ्रांसीसी क्रांति के कारण फ्रांस की राजनीति और संविधान में कई बदलाव आए।
  • सन 1789 में सत्ता का स्थानांतरण राजतंत्र से एक ऐसी संस्था को हुआ जिसका गठन नागरिकों द्वारा हुआ था। उसके बाद ऐसा माना जाने लगा कि फ्रांस के लोग ही आगे से अपने देश का भविष्य तय करेंगे।
  • क्रांतिकारियों लोगों में एक साझा पहचान की भावना स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए। 
  • एक पितृभूमि और उसके नागरिकों की भावना का प्रचार जिससे एक ऐसे समाज की अवधारणा को बल मिले जिसमें लोगों को संविधान से समान अधिकार प्राप्त थे।
  • राजसी प्रतीक को हटाकर एक नए फ्रांसीसी झंडे का इस्तेमाल किया गया जो कि तिरंगा था।
  • इस्टेट जेनरल को सक्रिय नागरिकों द्वारा चुना गया और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
  • राष्ट्र के नाम पर नए स्तुति गीत बनाए गए और शपथ लिए गए।
  • शहीदों को नमन किया गया।
  • एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था बनाई गई जिसने सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम बनाए।
  • फ्रांस के भूभाग में प्रचलित कस्टम ड्यूटी को समाप्त किया गया।
  • भार और मापन की एक मानक पद्धति अपनाई गई।
  • क्षेत्रीय भाषाओं को नेपथ्य में धकेला गया और फ्रेंच भाषा को राष्ट्र की आम भाषा के रूप में बढ़ावा दिया गया।
  • क्रांतिकारियों ने ये भी घोषणा की कि यूरोप के अन्य भागों से तानाशाही समाप्त करना और वहाँ राष्ट्र की स्थापना करना भी फ्रांस के लोगों का मिशन होगा।





यूरोप के अन्य भागों पर प्रभाव:

  • फ्रांस में होने वाली गतिविधियों से यूरोप के कई शहरों के लोग पूरी तरह प्रभावित थे और जोश में आ चुके थे।
  • इसके परिणामस्वरूप, शिक्षित मध्यवर्ग के लोगों और छात्रों द्वारा जैकोबिन क्लब बनाए जाने लगे।
  • उनकी गतिविधियों ने फ्रांस की सेना द्वारा अतिक्रमण का रास्ता साफ कर दिया।
  • 1790 के दशक में फ्रांस की सेना ने हॉलैंड, बेल्जियम, स्विट्जरलैड और इटली के एक बड़े भूभाग में घुसपैठ कर ली थी। इस तरह से फ्रांस की सेना ने अन्य देशों में राष्ट्रवाद का प्रचार करने का काम शुरु किया।

नेपोलियन

  • नेपोलियन 1804 से 1815 के बीच फ्रांस का बादशाह था।
  • नेपोलियन ने फ्रांस में प्रजातंत्र को तहस नहस कर दिया और वहाँ फिर से राजतंत्र की स्थापना कर दी।
  • लेकिन उसने प्रशासन के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव किए।
  • उसने उस व्यवस्था को बेहतर और कुशल बनाने की कोशिश की।
  • 1804 का सिविल कोड; जिसे नेपोलियन कोड भी कहा जाता है; ने जन्म के आधार पर मिलने वाले हर सुविधाओं को समाप्त कर दिया।
  • इसने कानून में सबको समान हैसियत प्रदान की और संपत्ति के अधिकार को पुख्ता किया। जैसा कि उसने फ्रांस में किया था; अपने नियंत्रण वाले हर इलाकों में उसने नए नए सुधार किए।
  • उसने डच रिपब्लिक, स्विट्जरलैंड, इटली और जर्मनी में प्रशासनिक विभागों को सरल कर दिया। उसने सामंती व्यवस्था को समाप्त कर दिया और किसानों को दासता और जागीर को अदा होने वाले शुल्कों से मुक्त कर दिया।
  • शहरों में प्रचलित शिल्प मंडलियों द्वारा लगाई गई सीमितताओं को भी समाप्त किया गया। यातायात और संचार के साधनों में सुधार किए गए।

राष्ट्रों के उदय के कारण और प्रक्रिया

अभिजात वर्ग : 

  • उस महाद्वीप में जमीन से संपन्न कुलीन वर्ग ही सदा से सामाजिक और राजनैतिक तौर पर प्रभावशाली हुआ करता था।
  • ग्रामीण इलाकों में उनकी जागीरें हुआ करती थीं और शहरी इलाकों में आलीशान बंगले।
  • अपनी एक खास पहचान बनाए रखने और कूटनीति के उद्देश्य से वे फ्रेंच भाषा बोला करते थे।
  • उनके परिवारों में संबंध बनाए रखने के लिए शादियाँ भी हुआ करती थीं।
  • लेकिन सत्ता से संपन्न यह अभिजात वर्ग संख्या की दृष्टि से बहुत छोटा था।
  • जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा किसानों से बना हुआ था।
  • पश्चिम में ज्यादातर जमीन पर काश्तकारों और छोटे किसानों द्वारा खेती की जाती थी।
  • दूसरी ओर, पूर्वी और केंद्रीय यूरोप में बड़ी-बड़ी जागीरें हुआ करती थीं जहाँ दासों से काम लिया जाता था।

मध्यम वर्ग का उदय:

  • पश्चिमी यूरोप और केंद्रीय यूरोप के कुछ भागों में उद्योग धंधे बढ़ने लगे थे। इससे शहरों का विकास होने लगा; जहाँ एक नए व्यावसायिक वर्ग का उदय हुआ।
  • बाजार के लिए उत्पादन की मंशा के कारण इस नए वर्ग का जन्म हुआ था।
  • इससे समाज में नए समूहों और वर्गों का जन्म होने लगा। इस नए सामाजिक वर्ग में एक वर्ग कामगारों का हुआ करता था और दूसरा मध्यम वर्ग का।
  • उद्योगपति, वयवसायी और व्यापारी; उस मध्यम वर्ग का मुख्य हिस्सा थे। इसी वर्ग ने राष्ट्रीय एकता की भावना को एक रूप प्रदान किया।





उदार राष्ट्रवाद की भावना:

  • उन्नीसवीं सदी के शुरुआती दौर के यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना का उदारवाद की भावना से गहरा तालमेल था।
  • नए मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद के मूल में व्यक्ति की स्वतंत्रता और समान अधिकार की भावनाएँ थीं।
  • राजनैतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उदारवाद की भावना से ही आम सहमति से शासन के सिद्धांत को बल मिला होगा।
  • उदारवाद के कारण ही तानाशाही और वंशानुगत विशेषाधिकारों की समाप्ति हुई। इससे एक संविधान की आवश्यकता महसूस होने लगी।
  • साथ में प्रतिधिनित्व पर आधारित सरकार की भी। उन्नीसवीं सदी के उदारवादियों ने संपत्ति की अक्षुण्णता की बात को भी पक्के तौर पर रखना शुरु किया।





मताधिकार : 

  • फ्रांस में अभी भी हर नागरिक को मताधिकार नहीं मिला था।
  • क्रांति के पिछले दौर में केवल ऐसे पुरुषों को ही मताधिकार मिले थे जिनके पास संपत्ति होती थी।
  • जैकोबिन क्लबों के दौर में कुछ थोड़े समय के लिए हर वयस्क पुरुष को मताधिकार दिए गए थे।
  • लेकिन नेपोलियन कोड ने फिर से पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी जिसमें सीमित लोगों के पास ही मताधिकार हुआ करता था।
  • नेपोलियन के शासन काल में महिलाओं को नाबालिगों जैसा दर्जा दिया गया था जिसके कारण वे अपने पिता या पति के नियंत्रण में होती थीं।
  • पूरी उन्नीसवीं सदी और बीसवीं सदी की शुरुआत तक महिलाओं और संपत्तिविहीन पुरुषों के मताधिकार के लिए संघर्ष जारी रहा।

आर्थिक क्षेत्र में उदारीकरण:

  • नेपोलियन कोड की एक और खास बात थी आर्थिक उदारीकरण।
  • मध्यम वर्ग; जिसका अभी अभी जन्म हुआ था; भी आर्थिक उदारीकरण के पक्ष में था।
  • इसे समझने के लिए उन्नीसवीं सदी के पहले आधे हिस्से वाले ऐसे क्षेत्र का उदाहरण लेते हैं जहाँ जर्मन बोलने वाले लोग रहते थे। इस क्षेत्र में 39 प्रांत थे जो कई छोटी-छोटी इकाइयों में बँटे हुए थे। हर इकाई की अपनी अलग मुद्रा होती थी और मापन की अपनी अलग प्रणाली। यदि कोई व्यापारी हैम्बर्ग से न्यूरेम्बर्ग जाता था तो उसे ग्यारह चुंगी नाकाओं से गुजरना होता था और हर नाके पर लगभग 5% चुंगी देनी होती थी। चुंगी का भुगतान भार और माप के अनुसार दिया जाता था। विभिन्न स्थानों के भार और मापन में अत्यधिक अंतर होने के कारण इसमें बड़ी उलझन होती थी। दूसरे शब्दों में ये कहा जा सकता है कि व्यवसाय के लिए बिलकुल प्रतिकूल माहौल थे जिससे आर्थिक गतिविधियों में विघ्न उत्पन्न होते थे। नए व्यावसायिक वर्ग की माँग थी कि एक एकल आर्थिक क्षेत्र बहाल की जाए ताकि सामान, लोगों और पूँजी के आदान प्रदान में कोई बाधा न उत्पन्न हो।
  • 1834 में प्रसिया की पहल करने पर जोवरलिन के कस्टम यूनियन का गठन हुआ जिसमें बाद में अधिकाँश जर्मन राज्य भी शामिल हो गए। चुंगी की सीमाएँ समाप्त की गईं और मुद्राओं के प्रकार को तीस से घटाकर दो कर दिया गया। इस बीच रेलवे के जाल के विकास के कारण आवगमन की सुविधा को और बढ़ावा मिला। इससे एक तरह के आर्थिक राष्ट्रवाद का विकास हुआ जिसने उस समय जड़ ले रही राष्ट्रवाद की भावना को बल प्रदान किया।





1815 के बाद एक नए रुढ़िवाद का जन्म :

  • सन 1815 में ब्रिटेन, रूस, प्रसिया और ऑस्ट्रिया की सम्मिलित ताकतों ने नेपोलियन को पराजित कर दिया।
  • नेपोलियन की पराजय के बाद, यूरोप की सरकारें रुढ़िवाद को अपनाना चाहती थीं।
  • रुढ़िवादियों का मानना था कि समाज और देश की परंपरागत संस्थाओं का संरक्षण जरूरी था।
  • उनका मानना था कि राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ढ़ाँचा, संपत्ति और परिवार के पुराने ढ़ाँचे को बचाकर रखा जाए। लेकिन उनमें से ज्यादातर लोग ये भी चाहते थे कि प्रशासन के क्षेत्र में नेपोलियन द्वारा लाए गए आधुनिक व्यवस्था को भी कायम रखा जाए।
  • उनका मानना था कि उस प्रकार के आधुनिकीकरण से परंपरागत संस्थाओं को और बल मिलेगा। उन्हें लगता था कि एक आधुनिक सेना, एक कुशल प्रशासन, एक गतिशील अर्थव्यवस्था और सामंतवाद और दासता की समाप्ति से यूरोप के राजतंत्र को और मजबूती मिलेगी।

वियेना संधि:

सन 1815 में ब्रिटेन, रूस, प्रसिया और ऑस्ट्रिया (जो यूरोपियन शक्ति के प्रतिनिधि थे) ने यूरोप की नई रूपरेखा तय करने के लिए वियेना में एक मीटिंग की। इस कॉंग्रेस की मेहमाननवाजी का भार ऑस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मेटर्निक पर था। इस मीटिंग में वियेना संधि का खाका तैयार किया गया। इस संधि का मुख्य लक्ष्य था नेपोलियन के काल में यूरोप में आए हुए अधिकाँश बदलावों को बदल देना। इस संधि के अनुसार कई कदम उठाए गए जिनमे से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • फ्रांसीसी क्रांति के दौरान बोर्बोन वंश को सत्ता से हटा दिया गया था। उसे फिर से सत्ता दे दी गई।
  • फ्रांस की सीमा पर कई राज्य बनाए गए ताकि भविष्य में फ्रांस अपना साम्राज्य बढ़ाने की कोशिश न करे। उदाहरण के लिए; उत्तर में नीदरलैंड का राज्य स्थापित किया गया। इसी तरह दक्षिण में पिडमॉंट से जेनोआ को जोड़ा गया। प्रसिया को उसकी पश्चिमी सीमा के पास कई महत्वपूर्ण इलाके दिए गए। ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का कब्जा दिया गया।
  • नेपोलियन ने 39 राज्यों का एक जर्मन संगठन बनाया था; उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया।
  • पूरब में रूस को पोलैंड के कुछ भाग दिए गए, जबकि प्रसिया को सैक्सोनी का एक भाग।

1815 में जो रुढ़िवादी शासन व्यवस्थाएँ आईं वे सब तानाशाही प्रवृत्ति की थी। वे किसी प्रकार की आलोचना या विरोध को बर्दाश्त नहीं करते थे। उनमें से अधिकाँश ने अखबारों, किताबों, नाटकों और गानों में व्यक्त होने वाले विषय वस्तु पर कड़ा सेंसर कानून लगा दिया।




क्रांतिकारी:

  • 1815 की घटनाओं के बाद सजा के डर से कई उदार राष्ट्रवादी जमींदोज हो गए थे।
  • जियुसेपे मेत्सीनी एक इटालियन क्रांतिकारी था।
  • उसका जन्म 1807 में हुआ था।
  • वह कार्बोनारी के सीक्रेट सोसाइटी का एक सदस्य बन गया।
  • जब वह महज 24 साल का था, तभी लिगुरिया में क्रांति फैलाने की कोशिश में उसे 1831 में देशनिकाला दे दिया गया था।
  • उसके बाद उसने दो अन्य सीक्रेट सोसाइटी का गठन किया।
  • इनमें से पहला था मार्सेय में यंग ईटली और फिर बर्ने में यंग यूरोप।
  • मेत्सीनी का मानना था कि भगवान ने राष्ट्र को मानवता की नैसर्गिक इकाई बनाया है। इसलिए इटली को छोटे छोटे राज्यों के बेमेल संगठन से बदलकर एक लोकतंत्र बनाने की जरूरत थी।
  • मेत्सीनी का अनुसरण करते हुए लोगों ने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और पोलैंड में ऐसी कई सीक्रेट सोसाइटी बनाई।
  • रुढ़िवादियों को मेत्सिनी से डर लगता था।
  • इस बीच जब रुढ़िवादी ताकतें अपनी शक्ति को और मजबूत करने में जुटी थीं, उदारवादी और राष्ट्रवादी लोग क्रांति की भावना को अधिक से अधिक फैलाने की कोशिश कर रहे थे।
  • इन लोगों में ज्यादातर मध्यम वर्ग के अभिजात लोग थे; जैसे कि प्रोफेसर, स्कूल टीचर, क्लर्क, और व्यवसायी।
  • फ्रांस में पहला उथल पुथल 1830 की जुलाई में हुआ।
  • उदारवादी क्रांतिकारियों ने बोर्बोन के राजाओं को उखाड़ फेंका।
  • उसके बाद एक संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई जिसका मुखिया लुई फिलिप को बनाया गया।
  • जुलाई की उस क्रांति के बाद ब्रसेल्स में भी आक्रोश बढ़ने लगा जिसके फलस्वरूप नीदरलैंड के यूनाइटेड किंगडम से बेल्जियम अलग हो गया।





ग्रीस की आजादी:

  • ग्रीस की आजादी की लड़ाई ने पूरे यूरोप के पढ़े लिखे वर्ग में राष्ट्रवाद की भावना को और मजबूत कर दिया।
  • ग्रीस की आजादी का संघर्ष 1821 में शुरु हुआ था।
  • ग्रीस के राष्ट्रवादियों को ग्रीस के ऐसे लोगों से भारी समर्थन मिला जिन्हे देशनिकाला दे दिया गया था।
  • इसके अलावा उन्हें पश्चिमी यूरोप के अधिकाँश लोगों से भी समर्थन मिला जो प्राचीन ग्रीक संस्कृति का सम्मान करते थे।
  • मुस्लिम साम्राज्य के विरोध करने वाले इस संघर्ष का समर्थन बढ़ाने के लिए कवियों और कलाकारों ने भी जन भावना को इसके पक्ष में लाने की भरपूर कोशिश की।
  • यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि ग्रीस उस समय ऑटोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। आखिरकार 1832 में कॉन्स्टैंटिनोपल की ट्रीटी के अनुसार ग्रीस को एक स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी गई।

राष्ट्रवादी भावना और रोमाँचक परिकल्पना:

  • रोमांटिसिज्म एक सांस्कृतिक आंदोलन था जिसने राष्ट्रवादी भावना के एक खास स्वरूप को विकसित करने की कोशिश की थी। रोमांटिक कलाकार अक्सर विज्ञान और तर्क के बढ़ावे की आलोचना करते थे। उनका फोकस भावुकता, सहज ज्ञान और रहस्यों पर ज्यादा होता था। उन्होंने एक साझा विरासत, एक साझा सांस्कृतिक इतिहास, को राष्ट्र के आधार के रूप में बनाने की कोशिश की थी।
  • राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा देने में भाषा ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
  • रूस द्वारा सत्ता हड़पने के बाद पोलैंड के स्कूलों से पॉलिस भाषा को हटा दिया गया और हर जगह रूसी भाषा को थोपा जाने लगा।
  • रूसी शासन के खिलाफ 1831 में एक हथियारबंद विद्रोह भी शुरु हुआ था लेकिन उस आंदोलन को कुचल दिया गया।
  • लेकिन इसके बाद पादरी वर्ग के सदस्यों ने पॉलिस भाषा का इस्तेमाल राष्ट्रीय विरोध के शस्त्र के रुप में करना शुरु किया।
  • चर्च के सभी अनुष्ठानों और अन्य धार्मिक गतिविधियों में पॉलिस भाषा का ही इस्तेमाल होता था। रूसी भाषा में प्रवचन देने की मनाही करने पर रूसी अधिकारियों ने कई पादरियों को जेल भेज दिया या फिर साइबेरिया भेज दिया।
  • इस प्रकार से पॉलिस भाषा का इस्तेमाल रूसी प्रभुत्व के खिलाफ विरोध का प्रतीक बन गया।





भूखमरी, कठिनाइयाँ और लोगों का विरोध:

  • 1830 का दशक यूरोप के लिए आर्थिक तंगी का दशक था।
  • उन्नीसवीं सदी के शुरु के आधे वर्षों में जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी।
  • 1848 का साल ऐसा ही एक बुरा साल था। भोजन की कमी और बढ़ती बेरोजगारी के कारण पेरिस के लोग सड़कों पर उतर आए थे।
  • विद्रोह इतना जबरदस्त था कि लुई फिलिप को वहाँ से पलायन करना पड़ा।
  • एक नेशनल एसेंबली ने प्रजातंत्र की घोषणा कर दी।
  • 21 साल से ऊपर की उम्र के सभी वयस्क पुरुषों को मताधिकार दे दिया गया।
  • लोगों को काम के अधिकार की घोषणा भी की गई। रोजगार मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला बनाई गई।

उदारवादियों की क्रांति:

  • जब गरीबों का विद्रोह 1848 में हो रहा था, तभी एक अन्य क्रांति भी शुरु हो चुकी थी जिसका नेतृत्व पढ़ा लिखा मध्यम वर्ग कर रहा था।
  • यूरोप के कुछ भागों में स्वाधीन राष्ट्र जैसी कोई चीज नहीं थी; जैसे कि जर्मनी, इटली, पोलैंड और ऑस्ट्रो-हंगैरियन साम्राज्य में।
  • इन क्षेत्रों के मध्यम वर्ग के स्त्री और पुरुषों ने राष्ट्रीय एकीकरण और संविधान की मांग शुरु कर दी।
  • उनकी मांग थी कि संसदीय प्रणाली पर आधारित राष्ट्र का निर्माण हो। वे एक संविधान, प्रेस की आजादी और गुटबंदी की आजादी चाहते थे।





फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट: 

  • जर्मनी में ऐसे कई राजनैतिक गठबंधन थे जिनके सदस्य मध्यम वर्गीय पेशेवर, व्यापारी और धनी कलाकार हुआ करते थे।
  • वे फ्रैंकफर्ट शहर में एकत्रित हुए और एक सकल जर्मन एसेंबली के लिए वोट करने का फैसला किया।
  • 18 मई 1848 को 831 चुने हुए प्रतिनिधियों ने जश्न मनाते हुए एक जुलूस निकाला और फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट को चल पड़े जिसका आयोजन सेंट पॉल के चर्च में किया गया था।
  • उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र का संविधान तैयार किया।
  • उस राष्ट्र की कमान कोई राजपरिवार का आदमी करता जो पार्लियामेंट को जवाब देने के लिए उत्तरदायी होता।
  • इन शर्तों पर प्रसिया के राजा फ्रेडरिक विलहेम (चतुर्थ) को वहाँ का शासन सौंपने की पेशकश की गई।
  • लेकिन उसने इस अनुरोध को ठुकरा दिया और उस चुनी हुई संसद का विरोध करने के लिए अन्य राजाओं से हाथ मिला लिया।
  • अभिजात वर्ग और सेना द्वारा पार्लियामेंट का विरोध बढ़ता ही गया। इस बीच पार्लियामेंट का सामाजिक आधार कमजोर पड़ने लगा क्योंकि उसमें मध्यम वर्ग का दबदबा था।
  • मध्यम वर्ग मजदूरों और कारीगरों की माँग का विरोध करता था और इसलिए उसे उनके समर्थन से हाथ धोना पड़ा। आखिरकार सेना बुलाई गई और इस तरह से एसेंबली को समाप्त कर दिया गया।
  • उदारवादी आंदोलन में महिलाओं ने भी भारी संख्या में हिस्सा लिया। इसके बावजूद, एसेंबली के चुनाव में उन्हें मताधिकार से मरहूम किया गया।
  • जब सेंट पॉल के चर्च में फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट बुलाई गई तो महिलाओं को केवल दर्शक दीर्घा में बैठने की अनुमति मिली।
  • हालाँकि रुढ़िवादी ताकतों द्वारा उदारवादी आंदोलन को कुचल दिया गया लेकिन पुरानी व्यवस्था को दोबारा बहाल नहीं किया जा सका। 1848 के कई वर्षों के बाद राजा को यह अहसास होने लगा कि आंदोलन और दमन के उस कुचक्र को समाप्त करने का अगर कोई तरीका था तो वह था राष्ट्रवादी आंदोलनकारियों की मांगों को मान लेना। इसलिए मध्य और पूर्वी यूरोप के राजाओं ने उन बदलावों को अपनाना शुरु कर दिया जो पश्चिमी यूरोप में 1815 से पहले ही हो चुके थे।
  • हैब्सबर्ग के उपनिवेशों और रूस में दास प्रथा और बंधुआ मजदूरी को समाप्त किया गया। 1867 में हैब्सबर्ग के शासकों ने हंगरी को अधिक स्वायत्तता प्रदान की।





ओटो वॉन बिस्मार्क: 

  • ये प्रसिया के मुख्य मंत्री थे जिन्होंने जर्मनी के एकीकरण की बुनियाद रखी थी।
  • इस काम में बिस्मार्क ने प्रसिया की सेना और प्रशासन तंत्र का सहारा लिया था।
  • सात सालों में तीन युद्ध हुए; ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस के खिलाफ्। प्रसिया की जीत के साथ युद्ध समाप्त हुए और इस तरह से जर्मनी एकीकरण का काम पूरा हुआ।
  • प्रसिया के राजा विलियम प्रथम को जर्मन का बादशाह घोषित किया गया।
  • इसके लिए वार्सा में 1871 की जनवरी में एक समारोह का आयोजन हुआ था।
  • नए राष्ट्र ने जर्मनी में मुद्रा, बैंकिंग, और न्याय व्यवस्था के आधुनिकीकरण पर खास ध्यान दिया।
  • अधिकतर मामलों में प्रसिया के कायदे कानून ही जर्मनी के लिए आदर्श का काम करते थे।





यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

इटली का एकीकरण:

  • इटली का भी राजनैतिक अलगाव और विघटन का एक लंबा इतिहास रहा है।
  • इटली में एक तरफ तो बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य का शासन था तो दूसरी ओर कुछ हिस्सों में कई छोटे-छोटे राज्य थे।
  • उन्नीसवीं सदी के मध्य में इटली सात प्रांतों में बँटा हुआ था। उनमें से एक; सार्डिनिया-पिडमॉंट पर किसी इटालियन राजपरिवार का शासन था।
  • उत्तरी भाग ऑस्ट्रिया के हैब्सबर्ग साम्राज्य के नियंत्रण में था,
  • मध्य भाग पोप के शासन में और दक्षिणी भाग स्पेन के बोर्बोन राजाओं के नियंत्रण में था।
  • इटालियन भाषा का कोई एक स्वरूप अभी तक नहीं बन पाया था और इस भाषा के कई क्षेत्रीय और स्थानीय प्रारूप थे।
  • 1830 के दशक में जिउसेपे मेत्सीनी ने एक समग्र इटालियन गणराज्य की स्थापना के लिए एक योजना बनाई।
  • लेकिन 1831 और 1848 के विद्रोहों की विफलता के बाद अब इसकी जिम्मेदारी सार्डिनिया पिडमॉंट और इसके शासक विक्टर इमैन्युएल द्वितीय पर आ गई थी।
  • उस क्षेत्र के शासक वर्ग को लगने लगा था कि इटली के एकीकरण से आर्थिक विकास तेजी से होगा।
  • इटली के विभिन्न क्षेत्रों को एक करने के आंदोलन की अगुवाई मुख्यमंत्री कैवर ने की थी।
  • वह ना तो कोई क्रांतिकारी था ना ही कोई प्रजातांत्रिक व्यक्ति। वह तो इटली के उन धनी और पढ़े लिखे लोगों में से था जिनकी संख्या काफी थी।
  • उसे भी इटालियन से ज्यादा फ्रेंच भाषा पर महारत थी। उसने फ्रांस से एक कूटनीतिक गठबंधन किया और इसलिए 1859 में ऑस्ट्रिया की सेना को हराने में कामयाब हो गया।
  • उस लड़ाई में सेना के जवानों के अलावा, कई सशस्त्र स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया था जिनकी अगुवाई जिउसेपे गैरीबाल्डी कर रहा था।
  • 1860 के मार्च महीने में वे दक्षिण इटली और टू सिसली के राज्य की ओर बढ़ चले। उन्होंने स्थानीय किसानों का समर्थन जीत लिया और फिर स्पैनिश शासकों को उखाड़ फेंकने में कामयाब हो गए।
  • 1861 में विक्टर इमैंयुएल (द्वितीय) को एक समग्र इटली का राजा घोषित किया गया। लेकिन इटली के आम जन का एक बहुत बड़ा भाग इस उदारवादी-राष्ट्रवादी विचारधारा से बिल्कुल अनभिज्ञ था। ऐसा शायद उनमें फैली हुई अशिक्षा के कारण था।





ब्रिटेन की अजीबोगरीब कहानी:

  • ब्रिटेन में राष्ट्र का निर्माण किसी अचानक से हुई क्राँति के कारण नहीं हुआ था। बल्कि यह एक लंबी और सतत चलने वाली प्रक्रिया के कारण हुआ था।
  • अठारहवीं से सदी से पहले ब्रिटिश देश नाम की कोई चीज नहीं हुआ करती थी। ब्रिटिश द्वीप विभिन्न नस्लों के हिसाब से बँटे हुए थे; जैसे कि इंगलिश, वेल्श, स्कॉट या आइरिस।
  • हर नस्ली ग्रुप की अपनी अलग सांस्कृतिक और राजनैतिक परंपरा थी।
  • इंगलिश राष्ट्र धीरे-धीरे धन, संपदा, महत्व और ताकत में बढ़ रहा था।
  • इस तरह से इसका प्रभुत्व उस द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर पड़ना स्वाभाविक था।
  • एक लंबे झगड़े के बाद 1688 में इंगलिश पार्लियामेंट ने राजपरिवार से सत्ता ले ली। इस इंगलिश पार्लियामेंट ने ब्रिटेन के राष्ट्रों के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
  • 1707 में इंगलैंड और स्कॉटलैंड के बीच यूनियन ऐक्ट बना जिससे “यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन” की स्थापना हुई।
  • इस यूनियन में इंगलैंड एक प्रधान भागीदार था और इसलिए ब्रिटिश पार्लियामेंट में इंगलिश सदस्यों की बहुतायत थी।
  • ब्रिटिश पहचान बढ़ने लगी लेकिन इसका खामियाजा स्कॉटिश संस्कृति और राजनैतिक संस्थानों की बढ़ती कमजोरी के रूप में हुआ।
  • स्कॉटिश हाइलैंड में कैथोलिक लोग रहा करते थे। जब भी वे अपनी स्वतंत्रता को उजागर करने की कोशिश करते थे तो उन्हें भारी दमन का सामना करना पड़ता था। उन्हें अपनी गैलिक भाषा बोलने और पारंपरिक परिधान पहनने की भी मनाही थी। उनमें से कई को तो उस जगह से जबरदस्ती निकाल दिया गया जहाँ वे कई पीढ़ियों से रह रहे थे।
  • आयरलैंड की भी कुछ कुछ ऐसी ही स्थिति हुई।
  • यह एक ऐसा देश था जहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट के बीच गहरी खाई थी। हालाँकि कैथोलिक अधिक संख्या में थे लेकिन इंगलैंड की मदद से प्रोटेस्टैंट ने अपना दबदबा बना लिया था।
  • वोल्फ टोन और उसके यूनाइटेड आइरिसमैन द्वारा 1798 में एक विद्रोह हुआ था लेकिन वह विफल रहा।
  • उसके बाद 1801 में आयरलैंड को जबरदस्ती यूनाइटेड किंगडम में शामिल कर लिया गया। एक नए ‘ब्रिटिश राष्ट्र’ के निर्माण के लिए इंगलिश संस्कृति को जबरदस्ती थोपा जाने लगा। इस तरह से पुराने देश इस नए यूनियन में बस मूक दर्शक बन कर ही रह गए





बाल्कन में संकट: 

  • बाल्कन ऐसा क्षेत्र था जहाँ भौगोलिक और नस्ली विविधता भरपूर थी।
  • आज के रोमानिया, बुल्गेरिया, अल्बेनिया, ग्रीस, मैकेडोनिया, क्रोशिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मॉन्टेनीग्रो इसी क्षेत्र में आते थे।
  • इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को मोटे तौर पर स्लाव कहा जाता था।
  • बाल्कन का एक बड़ा हिस्सा ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था।
  • यह वह दौर था जब ओटोमन साम्राज्य बिखर रहा था और बाल्कन में रोमांटिक राष्ट्रवादी भावना बढ़ रही थी। इसलिए यह क्षेत्र ऐसा था जैसे किसी बारूद की ढ़ेर पर बैठा हो।
  • पूरी उन्नीसवीं सदी में ओटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण और आंतरिक सुधारों से अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन इसमे उसे अधिक सफलता नहीं मिली। इसके नियंत्रण में आने वाले यूरोपीय देश एक एक करके इससे अलग होते गए और अपनी आजादी घोषित करते गए।
  • बाल्कन के देशों ने अपने इतिहास और राष्ट्रीय पहचान का हवाला देते हुए अलग होने की घोषणा की। लेकिन जब ये देश अपनी पहचान बनाने और आजादी पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे तब यह क्षेत्र कई गंभीर झगड़ों का अखाड़ा बन चुका था।
  • इस प्रक्रिया में बाल्कन के क्षेत्र में ताकत हथियाने के लिए भी जबरदस्त लड़ाई जारी थी।
  • उसी दौरान विभिन्न यूरोपियन ताकतों के बीच उपनिवेशों और व्यापार को लेकर कशमकश चल रही थी; और वह झगड़ा नौसेना और सेना की ताकत बनाने लिए भी जारी था।
  • रूस, जर्मनी, इंगलैंड, ऑस्ट्रो-हंगरी; हर शक्ति का लक्ष्य था कि किस तरह से बाल्कन पर नियंत्रण पाया जाए और फिर अन्य क्षेत्रों पर्।
  • इसके कारण कई लड़ाइयाँ हुईं; जिसकी परिणति प्रथम विश्व युद्ध के रूप में हुई।
  • इस बीच उन्नीसवीं सदी में यूरोपियन शक्तियों के उपनिवेश बने कई देश अब उपनिवेशी ताकतों का विरोध शुरु कर चुके थे। अलग-अलग उपनिवेशों के लोगों ने राष्ट्रवाद की अपनी नई परिभाषा बनाई।
  • इस तरह से ‘राष्ट्र’ का आइडिया एक विश्वव्यापी आइडिया बन गया।





राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद:-
आदर्शवादी राष्ट्रवाद, एक दूसरे के अनुसार, लडने के लिए तैयार रहते थे।

  1. 1857 केबाद यूरोप के बाल्कन क्षेत्र में तनाव आपसी भौगोलिक और जातीय भिन्नता स्लाव का नाम दिया गया। आटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में राष्ट्रवाद के विचारों के फैसले से आटोमन साम्राज्य के विघटन का विस्फोट।
  2. विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों की पहचान, आपसी टकराव।
  3. इसी समय यूरोपीय शक्तियों बीच व्यापार और उपनिवेशों के लिए प्रतिस्पर्धी और प्रथम विश्व युद्ध।
  4. राष्ट्रवादी देशों में साम्राज्य विरोधी आंदोलन विकसित हुए समाजों का राष्ट्र राज्यों में गठित किया जाना।

1815 के बाद एक नया रूढ़िवाद:-

  1. 1815 में नेपोलियन की हार के बाद यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना। राज्य और समाज की स्थापित पारंपरिक संस्थाए – राजतंत्र, चर्च। सामाजिक ऊंच नीच सपेन्ति और परिवार को बनाए रखना।
  2. 1815 में बिट्रेन, रूस प्रशा और आस्ट्रिया यूरोपीय शक्तियों ने नेपोलियन को हराया। 1815 की वियना संधि बूर्बो वंश को सत्ता ने बहाल किया।
  3. 1815 में स्थापित रूढ़िवाद शासन व्यवस्थाएँ की निरकुंशता को खत्म किया। ज्यादातर सरकारों ने सेंसरशिप के नियम बनाए, फ्रांसीसी क्रांति से जुडे सिद्धांतों को अपनाया।




सामाजिक विज्ञान
पाठ – 1
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न अभ्यास 


  1. फ़्रांसीसी क्रांतिकारियों द्वारा सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए उठाए गए कदम पूर्ववर्ती समाज में लोगों की पहचान से किस आधार पर अलग थे?
    उत्तर-  सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए उठाए गए कदम निम्नलिखित तरीके से अपने पूर्ववर्ती समाज से भिन्न थे

    1. पहले समाज इस्टेट में बँटी हुई थी जबकि अब पितृभूमि, राष्ट्रीय भाषा, राष्ट्रध्वज आदि के आधार पर सामूहिक पहचान पर बल दिया गया ।
    2. पूर्ववर्ती समाज निरकुंश राजतंत्र के प्रति निष्ठा पर आधारित था जबकि अब यह लोगों द्वारा बने राष्ट्र के प्रति समर्पण पर आधारित था।
    3. समाज में लोगों को संविधान के अंतर्गत समान अधिकार दिए गए जो पहले नहीं थे।
  2. नेपोलियन संहिता – 1804 में कही गई बातें किस प्रकार उदारवादी राष्ट्रवाद की विचारधारा के अनुरूप थीं? स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर- उदारवाद व्यक्ति की आजादी और कानून के समक्ष समानता का समर्थन करता है। नेपोलियन की संहिता में कही गई बातें कई तरीके से इसे व्यक्त करती थी –

    1. जन्म आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त किया गया।
    2. कानून के समक्ष समानता।
    3. संपत्ति का अधिकार।
    4. सामंती व्यवस्था का अंत करके भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों का अंत।
    5. एक समान कानून, मानक भार और राष्ट्रीय मुद्रा का प्रावधान।
  3. आपके विचार में रूढ़िवादी विचारधारा किस प्रकार मानव जीवन के उत्थान में बाधक है?
    उत्तर- रूढ़िवादी विचारधारा निम्नलिखित कारणों से मानव जीवन के उत्थान में बाधक हैं –

    1. यह समाज में परंपरागत ऊँच-नीच की भावना को बनाए रखने का समर्थन करती है।
    2. आधुनिक जीवन मूल्यों के विपरीत है।
    3. समाज में परिवर्तनों का विरोधी।
    4. लोकतंत्र के युग में भी राजतंत्र का समर्थक।
    5. आलोचना और असहमति के खिलाफ़।
  4. क्रांतिकारी विचारधारा ने किस प्रकार निरंकुश राजतंत्र के विरूद्ध आधुनिक राष्ट्रराज्य की स्थापना में योगदान दिया? मेत्सिनी का उदाहरण देते हुए इसे समझाइए।
    उत्तर- 1815 के बाद के वर्षों में दमन के भय ने उदारवादी-राष्ट्रवादियों को भूमिगत कर दिया। इसलिए कई गुप्त संगठन उभरकर आए जो स्वतंत्रता और मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध होकर संघर्ष करने लगे। इटली का ज्युसेपी मेत्सिनी ऐसा ही एक क्रांतिकारी था। उसने दो भूमिगत संगठनों – यंग इटली और यंग यूरोप का गठन किया। उसने इटली को एकीकृत गणतंत्र बनाने के लिए क्रांतिकारी संघर्ष किया। उसके विचारों का पूरे यूरोप पर असर पड़ा तथा रूढ़िवाद को मुहँ की खानी पड़ी।
  5. भूखकठिनाईअसमानता और बेरोज़गारी किस प्रकार जनविद्रोह का कारण बन सकती है? 1830 के दशक में यूरोपीय परिस्थितियों के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
    उत्तर- 1830 के दशक में यूरोपीय समाज कई कठिनाइयों से जूझ रहा था। बढ़ती आबादी, मशीनीकरण और औद्योगीकरण के कारण प्रतिस्पर्धा में वृधि, महँगाई, व्यापक बेरोज़गारी, शहरों की ओर पलायन, फसलों की बर्बादी आदि ने व्यापक गरीबी का प्रसार किया। 1848 ऐसा ही एक वर्ष था।
    इन सभी परिस्थितियों की वजह से पेरिस के लोग सड़कों पर उतर आए और राजा को भागने पर मज़बूर कर दिया तथा गणतंत्र की घोषणा कर दी गई । आधुनिक समय में भी इन परिस्थितियों के पैदा होने पर जनता द्वारा विद्रोह की घटनाएं होती रहती हैं। उदाहरण के लिए नेपाल में जनविद्रोह के द्वारा राजतंत्र का खात्मा किया गया।
  6. आपके विचार में ब्रिटेन में राष्ट्र-राज्य का निर्माण यूरोप के बाकी देशों की अपेक्षा किस तरह भिन्न था?
    उत्तर- ब्रिटेन में राष्ट्रराज्य का निर्माण अचानक हुई कोई उथल-पुथल या क्राँति का परिणाम नहीं था। जैसा कि अन्य यूरोपीय देशों में हुआ। यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया का नतीजा थी। जिसे हम निम्न तरीके से समझ सकते हैं

    1. ब्रिटेन कई नृजातीय पहचानों जैसे – अंग्रेज़, वेल्श, स्कॉट आदि का देश था।
    2. आंग्ल राष्ट्र (इंग्लैण्ड) की अहमियत, सत्ता, समृद्धि में वृद्धि के साथ द्वीप समूह के अन्य राष्ट्रों पर इसका प्रभुत्व बढ़ गया।
    3. संसद ने 1688 में राजतंत्र की ताकत छीन ली।
    4. इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच 1707 में हुए समझौते से यूनाइटेड किंगडम ऑफ़ ब्रिटेन का जन्म हुआ। किंतु व्यवहार में इंग्लैंड का स्काटलैंड पर प्रभुत्व जम गया।
    5. एक ब्रितानी पहचान के विकास को योजनाबद्ध रूप से बढ़ाया गया जिसमें कई बार स्काटिस, वेल्स, आयरलैंड के लोगों को दबाया भी गया।
  7. आपके विचार में जर्मनी और फ्रांस में राष्ट्र को दर्शाने वाले प्रतीक किस प्रकार वहाँ के लोगों की भावनाओं को प्रकट करते थे?
    उत्तर- राष्ट्र के प्रति जुड़ाव पैदा करने के लिए 18वीं और 19वीं सदी में राष्ट्र का मानवीकरण किया गया विशेषकर नारीरूपक में दर्शाया जाने लगा। फ़्रांसीसी क्रांति जो स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र को प्रकट करती थी उसे कलाकारों ने नारी रूपक के रूप में भी अभिव्यक्त किया। मारीआन की तस्वीर फ़्रांसीसी गणतंत्र को प्रकट करती थी जिसकी लाल टोपी और टूटी ज़ंजीर स्वतंत्रता को दर्शाती थी। आमतौर पर आँखों पर पट्टी बाँधे, तराजू लिए हुए महिला इंसाफ़ को प्रकट करती थी। इन चिन्हों को सार्वजनिक स्थानों पर दर्शाया गया। इसी तरह जर्मनी में जर्मनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई उसके सिर पर बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट वीरता को प्रकट करता था। इन रूपकों से आम लोग स्वयं को जोड़कर गर्व महसूस करते थे।
  8. ‘राष्ट्रवाद ने ही साम्राज्यवाद को जन्म दिया और अन्ततः उसका अंत भी किया’ उदाहरण सहित समझाइए।
    उत्तर- 19वीं सदी में यूरापीय देशों में तीव्र औद्योगिक वृद्धि और उग्रराष्ट्रवादी आकांक्षाओं ने साम्राज्यवाद को जन्म दिया। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों ने एशिया, अफ्ऱीका के कई देशों पर अपना आधिपत्य जमाकर उनका औपनिवेशीकरण किया और अपने हितों के अनुरूप उनका घोर शोषण किया किंतु इस आधिपत्य और शोषण के विरूद्ध इन देशों में साम्राज्य विरोधी आन्दोलन पैदा हुए। इस प्रक्रिया ने यहाँ के लोगों को परस्पर सामूहिक एकता के बंधन में बाँध दिया जो राष्ट्र के रूप में स्वतंत्र राष्ट्रराज्य के निर्माण का स्वप्न संजोने लगी। यद्यपि यह राष्ट्रवाद अपनी परिस्थितियों के अनुरूप भिन्न और विशिष्ट था किंतु इसने यूरोपीय साम्राज्यवाद का अंत कर दिया।





1 अंक वाले प्रश्न


प्रश्न 1. फ्रेडरिक साॅरयू कौन था ?
उतर-
 फ्रांसीसी चित्रकार

प्रश्न 2. अंस्ट रेनन कौन था ?
उत्तर
– फ्रांसीसी दार्शनिक

प्रश्न 3. जर्मन राष्ट्र का रूपक क्या था ? वह किस बात का प्रतीक था ?
उत्तर
– जर्मेनिया | जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है |

प्रश्न 4. मांटेस्क्यू ने किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया ?
उत्तर
– शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत या अधिकार विभाजन

प्रश्न 5.कौन सी विश्वविख्यात घटना को राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति माना जाता है ?
उत्तर- 
फ्रांसीसी क्रांति

प्रश्न 6. जॉलवेराइन क्या था व किस प्रकार वह जर्मनी के आर्थिक एकीकरण का प्रतीक था?
उत्तर- 
एक जर्मन शुल्क संघ | अधिकांश जर्मन राज्य शामिल थे | 1834 में स्थापित इस संघ ने विभिन्न जर्मन राज्यों के बीच शुल्क अवरोधों को समाप्त किया व मुद्राओं की संख्या तीस से दो कर दी | इस प्रकार यह आर्थिक एकीकरण का प्रतीक था |





प्रश्न 7. मेत्सिनी द्वारा स्थापित दो भूमिगत संगठनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
 1) यंग इटली

2) यंग यूरोप

प्रश्न 8. 19वीं सदी में ऐसी कौन सी ताकत उभरी जिसने यूरोप की राजनैतिक और भौतिक दुनिया में भारी परिवर्तन किये ?
उत्तर- 
राष्ट्र राज्य  का उदय

प्रश्न 9. बाल्कन क्षेत्र के निवासियों की क्या कहा जाता था ?
उत्तर-
 स्लाव

प्रश्न 10. वियना कांग्रेस किस वर्ष आयोजित की गई ?
उत्तर- 
1815

प्रश्न 11. 1815 की वियना सन्धि से किसका सम्बन्ध है ?
उत्तर- 
ड्यूक मैटरनिख

प्रश्न 12. नेपोलियन युद्धों के दौरन हुए बदलावों को ख़त्म करना किस संधि का उद्देश्य था?
उत्तर- 
वियना संधि

प्रश्न 13. किसने कहा था कि जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी जुकाम हो जाता है ?
उत्तर- 
मैटरनिख

प्रश्न 14. किस संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी ?
उत्तर- 
कांस्टेंटीनोपाल संधि

प्रश्न 15. आयरलैंड में प्रोटेस्टेन्ट के विरूद्र आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
उत्तर- 
वोल्फटोन

प्रश्न 16. आँखों पर पट्टी बांधे हुए और तराजू लिये हुए महिला किस बात का प्रतीक है ?
उत्तर-
 न्याय





लघु/दीर्घ प्रश्न (3/5 अंक वाले)
प्रश्न 1. फ्रांसीसी क्रांन्तिकारियों ने फ्रांसीसी लोगों में सामूहिक पहचान की भावना किस प्रकार पैदा की ?
उत्तर- – 
पितृभक्ति और नागरिकता के विचार

  • नए राष्ट्रीय चिन्ह
  • केन्द्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था
  • राष्ट्रीय भाषा
  • एक समान भार व मान की व्यवस्था।

प्रश्न 2. नेपोलियन ने प्रशासनिक क्षेत्र में क्रांतिकारी सिद्धांती का समावेश किया जिसने पूरी व्यवस्था को अधिक कुशल व तर्कसंगत बना दिया। समीक्षा कीजिए?
उत्तर- 
नेपोलियन की संहिता

  • ग्रामीण प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार
  • शहरी क्षेत्र में सुधार
  • व्यापार में सुधार

प्रश्न 3. यूरोप के “राष्ट्र” के विचार के निर्माण में संस्कृति ने किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ?
उत्तर-

  1. कला, काव्य, कहानियों, संगीत ने राष्ट्रवादी भावनाओं को विकसित किया
  2. लोकगीत, जन-काव्य व लोक नृत्य
  3. स्थानीय बोलियों व लोक साहित्य पर बल
  4. भाषा





प्रश्न 4. जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए ?
उत्तर-

  1. आरंभ विलियम प्रथम के प्रशा के सिंहासन पर आसीन होना।
  2. बिस्मार्क द्वारा जर्मन एकीकरण की भूमिका तैयार करना।
  3. वियना कांग्रेस
  4. एकीकरण में बाधाएँ
  5. बिस्मार्क द्वारा ऑस्ट्रिया, फ्रांस आदि पराजित, विश्व शक्तियों को तटस्थ किया व एकीकृत जर्मनी का एक राष्ट्र के रूप में उभरना।

प्रश्न 5. इटली के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन करें। इसके मार्ग में आने वाली मुख्य बाधाऐं क्या थीं?
उत्तर-
 एकीकरण की प्रक्रिया :-

1832 – कावूर सार्डीनिया का प्रधानमंत्री बना। फ्रांस से संधि, ऑस्ट्रिया पराजित व 1859 में लुबार्डों को राज्य में मिला लिया।
द्वीतीय चरण – मोडेना, टस्कनी, पार्मा आदि का जनमत संग्रह द्वारा सार्डीनिया में विलय।
तृतीय चरण – 186o में गैरीबाल्डी द्वारा सिसली व नेपल्स पर विजय।
चतुर्थ चरण – वेनेशिया व रोम पर अधिकार।
1871 में पोप से समझौता व एकीकृत इटली का उदय।

एकीकरण में बाधाएँ :-

  1. राजनीतिक विखंडन का लंबा इतिहास
  2. विदेशी शक्तियों का आधिपत्य
  3. पोप का शासन
  4. वियना कांग्रेस
  5. अनुदारवादी शासक।





प्रश्न 6. ब्रिटेन में राष्ट्र राज्य का निर्माण एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम किस प्रकार था ?
उत्तर- 
यह किसी उथल-पुथल या क्रांति का नहीं, एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया का नतीजा था।

  • पहले नृजातीय पहचान। राष्ट्र की अहमियत व सत्ता में वृद्धि।
  • 1688 में राजतंत्र से संसद द्वारा ताकत छीने जाना
  • 1707 में यूनाइटेड किंगडम ऑफ ब्रिटेन का गठन।
  • स्कॉटलैंड पर प्रभुत्व। आयरलैंड को 1801 में बलपूर्वक यूनाईटेड किंगडम में शामिल किया गया।
  • नए ब्रिटिश राष्ट्र का निर्माण। आंग्ल संस्कृति का दबदबा।
  • राष्ट्र के प्रतीक – झंडा व राष्ट्रगान को बढ़ावा। पुराने राष्ट्र मात्र सहयोगी रूप में।

प्रश्न 7. यूरोप में राष्ट्रवाद के उत्थान के लिए कौन से कारण उत्तरदायी थे?
उत्तर- 
यूरोप पर प्रभाव –

1) राष्ट्र-राज्यों का उदय, 2) लोकतंत्रीय सिद्धांत को बढावा, 3) सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक समानता पर बल 4) अन्य राष्ट्रो में मानवीय अधिकारों की मांग 5) निरंकुश राजतंत्रों में क्रांतिकारी प्रतिक्रियाएँ।

प्रश्न 8. फ्रांसीसी क्रांति का न केवल फ्रांस पर अपितु पूरे विश्व पर गहरा प्रभाव पड़ा। समीक्षा कीजिए ?
उत्तर- 
फ्रांस पर प्रभाव – 1) लोकतांत्रिक शासन की स्थापना, 2) लोक कल्याणकारी कार्य, 3) समानता, स्वतंत्रता, भ्रातृत्व से भरे नए समाज की नींव, 4) नवीन कानून संहिता लागू, 5) नेशनल असेंबली का गठन, 6) आर्थिक एकीकरण, 7) कानून के समक्ष बराबरी, 8) संपत्ति का अधिकार सुरक्षित।

1) मध्यम वर्ग का उदय, 2) उदारवादी विचारधारा का प्रारंभ, 3) यूनान का स्वतंत्रता संग्राम, 4) संस्कृति व भाषा की भूमिका, 5) जन विद्रोह

प्रश्न 9. 1804 की नागरिक संहिता के प्रावधानों का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर-

  1. जन्म पर आधारित सुविधाओों की समाप्ति।।
  2. संपत्ति के अधिकार की बहाली
  3. जमींदारी व सामंती व्यवस्था की समाप्ति।
  4. यातायात तथा संचार व्यवस्था में सुधार।
  5. मानक नाप-तौल के पैमाने चलाए गए।
  6. एक राष्ट्र मुद्रा चलाई गई।





प्रश्न 10. यूरोप के कुलीन वर्ग की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर- 
जीवन जीने की समान शैली

  • भू–स्वामित्व
  • कुटनीतिक भाषा
  • आपस में वैवाहिक संबंध
  • उच्च वर्गों के बीच फ्रेंच भाषा का प्रयोग

प्रश्न 11. 1815 की वियना संधि के उद्देश्य बताइए। इसके प्रमुख प्रस्ताव व व्यवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • उत्तर नीदरलैंड में साम्राज्य की स्थापना
  • दक्षिण में जेनेवा को पिडमाण्ट के साथ मिला दिया गया।
  • प्रशा को पश्चिम में नए क्षेत्र दिए गए।
  • पूर्व में रूस को पोलैंण्ड का हिस्सा दे दिया गया।
  • ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियंत्रण सौंपा गया।

प्रश्न 12. यूरोप में उदारवादियों द्वारा समर्थित राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक आदर्श क्या थे ?
उत्तर-

  1. कानून के समक्ष समानता
  2. व्यस्क मताधिकार के पक्ष में नहीं
  3. बाज़ार की स्वतंत्रता तथा राज्य द्वारा वस्तुओं एवं पूंजी के प्रवाह पर लगे प्रतिबन्ध को समाप्त करने के पक्षधर।





प्रश्न 13. औद्योगिकरण की वृद्धि ने किस प्रकार यूरोप के सामाजिक और राजनैतिक समीकरण बदल दिए?
उत्तर-

  1. पश्चिमी और मध्य यूरोप के हिस्सों में औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में वृद्धि। शहरों का विकास और वाणिज्यिक वर्गों का उदय।
  2. श्रमिक व मध्य वर्ग का उदय।
  3. कुलीन विशेषाधिकार की समाप्ति के विचारों की लोकप्रियता।

प्रश्न 14. यूरोप के राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका क्या थी ?
उत्तर- 
स्वयं के राजनैतिक संगठन बनाना।

  • समाचार पत्रों का प्रकाशन।
  • मताधिकार प्राप्त नहीं। मताधिकार प्राप्ति हेतु संघर्ष।
  • राजनैतिक बैठकों तथा प्रदर्शनों में हिस्सा लेना।

प्रश्न 15. 19वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद की लहर के क्या कारण थे?
उत्तर-

  1. जनता पर अत्याचार
  2. निरंकुश शासन व्यवस्था
  3. उदारवादी विचारों का प्रसार
  4. स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व का नारा।
  5. शिक्षित मध्य वर्ग की भूमिका।

प्रश्न 16. 1815-1914 के दौरान अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय केन्द्रों के तीन प्रवाहों को विस्तार से लिखिए?
उत्तर-

  1. वस्तुओं का प्रवाह
  2. पूंजी का प्रवाह
  3. लोगों का प्रवाह।





प्रश्न 17. फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने फ्रांसीसी लोगों में सामूहिक पहचान की भावना किस प्रकार पैदा की।
उत्तर-

  1. पितृभक्ति और नागरिक के विचार
  2. नये राष्ट्रीय चिन्ह
  3. केन्द्रियकृत प्रशासनिक व्यवस्था
  4. राष्ट्रीय भाषा
  5. एक समान भार व मान की व्यवस्था

प्रश्न 18. नेपोलियन द्वारा लागू किये गये प्रसासनिक सुधारो के विषय में बताइये?
उत्तर-

  1. नेपोलियन की संहिता
  2. ग्रामीण प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार
  3. शहरी क्षेत्रों में सुधार
  4. व्यापार में सुधार

प्रश्न 19. 1804 की नागरिक संहिता के प्रावधानों का उल्लेख करो?
उत्तर-

  1. जन्म पर आधारित सुविधाओं की समाप्ति
  2. सम्पत्ति के अधिकार की बहाली
  3. जमीदारी व सामंती व्यवस्था की समाप्ति
  4. यातायात तथा संचार व्यवस्था में सुधार

प्रश्न 20. यूरोप के कुलीन वर्ग की विशेषतायें बताओ?
उत्तर-

  1. जीवन जीने की समान शैली
  2. भू-स्वामित्व
  3. कुटनीतिक भाषा
  4. आपस में वैवाहिक सम्बन्ध

प्रश्न 21. यूरोप में उदारवादियों द्वारा समर्पित राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक आदर्श क्या थे?
उत्तर-

  1. कानून के समक्ष समानता
  2. व्यस्क मताधिकार के पक्ष में नहीं
  3. वे बाजार की स्वतन्त्रता तथा राज्य द्वारा वस्तुओं एवं पूंजी के प्रवाह पर लगे प्रतिबन्ध को समाप्त करने के पक्षधर

प्रश्न 22. 1815 की वियना संधि में उद्देशय बताइये?
उत्तर-

  1. उत्तर में नीदरलैंड साम्राज्य की स्थापना
  2. दक्षिण में जेनेवा को पिडमाण्ड के साथ मिला दिया
  3. प्रशा को पश्चिम में नये क्षेत्र दिये गये।
  4. पूर्व में रूस को पोलेंड का एक हिस्सा दे दिया गया।





प्रश्न 23. औद्योगिकरण की वृद्धि ने किस प्रकार यूरोप के सामाजिक और राजनैतिक समीकरण बदल दिये?
उत्तर-

  1. पश्चिमी और मध्य यूरोप के हिस्सों में औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में वृद्धि से शहरों का विकास और वाणिज्यिक वर्गो का उदय हुआ।
  2. श्रमिक और मध्य वर्ग का उदय
  3. कुलीन विशेषाधिकारों की समाप्ति के विचारो की लोकप्रियता

प्रश्न 24. 1815-1914 के दौरान अर्न्तराष्ट्रीय आर्थिक विनियम केन्द्रों के साथ तीन प्रकार के प्रवाहों को बताइये?
उत्तर-

  1. वस्तुओं का प्रवाह
  2. पूँजी का प्रवाह
  3. लोगों का प्रवाह

प्रश्न 25. यूरोप के राष्ट्रवादी संघर्षो में महिलाओं की भूमिका क्या थी?
उत्तर-

  1. स्वयं की राजनैतिक संगठने बनाई
  2. समाचार पत्रों का प्रकाशन
  3. मताधिकार की प्राप्ति नहीं
  4. राजनैतिक बैठकों तथा प्रदर्शनों में हिस्सा

प्रश्न 26. 19 वीं सदी में यूरोप में राष्ट्रवाद की लहर के कारण?
उत्तर-

  1. जनता पर अत्याचार
  2. निरंकुश शासन व्यवस्था
  3. उदारवादी विचारों का प्रसार
  4. स्वतन्त्रता, समानता तथा बंधुत्व का नारा
  5. शिक्षित मध्य वर्ग की भूमिका




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